Priyanka06

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लेखनी प्रतियोगिता -28-Apr-2022 मां

 रचीयता-प्रियंका भूतड़ा

शीर्षक-मां

बहती धारा सी निर्मल है, पावन है मां,
खुशी में झलकता आंखों का सावन है मां।

होठों की हंसी और ममता का साया है मां
आंचल में मैंने गम भुलाया है मां

खिलते हुए फूल की ख़ुशी का एहसास है मां,
उस  बगिया की माली है मां।

धैर्य और विश्वास में होती है मां,
त्याग की मूरत होती है मां।

लड़कर मौत से जीवन दान देती है मां,
धरा को दिया हुआ कुदरत का वरदान है मां

हमारी रक्षा के लिए होती है मां,
भगवान का दिया हुआ अनमोल उपहार होती है मां।

झलकती धूप में शीतल तरु की छांव है मां,
उगते सूरज की बढ़ती किरणों का बिखराव है मां।

बढ़ती हुई शीतलता की ढाल है मां,
जगमगाती चांद की रोशनी का उजाला है मां

जेठ की गर्मी में, बादाम की ठंडाई है मां,
ठिठुरती सर्दी में, स्वेटर की गरमाई है मां।

डगमगाती कश्ती में उम्मीद की लहर है मां,
नसीब वालों को मिली खुदा की मेहर है मां।

बेटी के संस्कारों में छुपी हुई पहचान है मां,
प्रियंका की प्रेरणा, और गुरु, भगवान है मां।







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9 Comments

Seema Priyadarshini sahay

29-Apr-2022 10:01 PM

बहुत खूबसूरत

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Punam verma

29-Apr-2022 08:54 AM

Very nice

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Niraj Pandey

29-Apr-2022 12:23 AM

बहुत ही बेहतरीन👌👌

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